Pita parmeshwar ki kahani

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Pita parmeshwar ki kahani

Pita parmeshwar ki kahani, जब भी आपको लगता है. आप परेशान है. आप दुखी है. आपके सामने कोई भी रास्ता नहीं है. तो आप “पिता परमेश्वर” को याद कर सकते है. वह आपकी समस्या को सुन सकते है. आपकी परेशानी को दूर कर सकते है. लेकिन आप यहां पर कोशिश नहीं करते है. जब भी आप समस्या में होते है.

पिता परमेश्वर की सच्ची कहानी :- Pita parmeshwar ki kahani

आप “पिता परमेश्वर” को याद करते है. मगर क्या यह सही है. आप जब परेशान हो. आप जब समस्या में हो. तभी उन्हें याद किया जाये. जबकि आप कभी भी उन्हें याद कर सकते है. लेकिन शायद आप ऐसा नहीं कर पाते है. क्योकि आपको लगता है. आपके पास समय नहीं है. जबकि इस व्यस्त जिंदगी में आपको कुछ समय निकालना होता है. अगर आप ऐसा करते है.

पिता परमेश्वर की मदद :-

तो “पिता परमेश्वर” आपकी मदद जरूर कर सकते है. क्योकि जब कोई लालच नहीं होता है. तब आपको मदद मिल जाती है. जब तक आप अपने अंदर लालच को रखते है. आपको मदद नहीं मिल सकती है. आप ऐसा सोच सकते है. मान लीजिये आपके पास कोई आदमी आता है. वह आपसे मदद मांगता है. आप उसकी मदद कर सकते है. मगर आप अपना फायदा खोजते है. जब आपको अपना फायदा नज़र आता है.

Pita parmeshwar ki kahani
Pita parmeshwar ki kahani

आप उसकी मदद करते है. क्योकि आपको लगता है. आप उसकी मदद करते है. तो आपको फायदा हो सकता है. मगर क्या यह सही है. जबकि आप उसकी मदद अपने फायदा के बारे में बिना सोचे भी कर सकते थे. लेकिन आप नहीं करते है. क्योकि आज की दुनिया में लालच बहुत बढ़ गया है. यह लालच कुछ नहीं करने देता है. आपको एक नयी परेशानी में डालता है. इसलिए आप जो भी काम बिना लालच के करते है.

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वह बहुत अच्छा होता है. ऐसा आप कर सकते है. क्योकि यह आपके हाथ में है. मगर आप करते नहीं है. वैसा ही है. जब आप समस्या में आते है. तो आप “पिता परमेश्वर” को याद करते है. उनसे कहते है. मेरी समस्या को दूर कर दे. मगर क्या आपने किसी की समस्या को दूर किया है. अगर आप बिना लालच के समस्या को दूर कर देते तो आपकी समस्या भी कुछ समय के लिए ही होती है.

अपनी कहानी :-

इसलिए आपको यह सोचना चाहिए. आप क्या कर रहे है. अब हम अपनी कहानी में आगे बढ़ते है. यह कहानी एक आदमी की है. वह बिना लालच के कुछ भी नहीं करता है. उसे लगता है. धन कमाना यहां पर बहुत जरुरी है. इसके लिए कोई भी लालच चल सकता है. मगर यह बात भूल जाता है. उसे यह सब कुछ नहीं करना चाहिए. वह अपने घर जा रहा था.

 

तभी रास्ते में उसे एक लड़का मिलता है. वह बहुत भूखा था. उसके पास अच्छे कपड़े नहीं थे. वह पुराने कपड़े पहने हुए थे. सिर्फ भोजन की मांग कर रहा था. वह आदमी कहता है. तुम लड़के को आराम से काम सकते हो. तुम भीख मांग रहे हो. जब की यह अच्छी बात नहीं है. वह लड़का कहता है. मेने बहुत बार काम की तलाश की है. मगर मुझे देखकर कोई भी काम नहीं देता है.

लालच की मांग :-

उन्हें लगता है. में अच्छा नहीं दिखता हु. में उनका नुक्सान कर सकता हु. यही वजह है. कोई भी मुझे काम नहीं देता है. वह आदमी कहता है. हर बार झूट बोलना अच्छा नहीं होता है. तुम काम करना नहीं चाहते हो. बहाने बना रहे हो. वह लड़का कहता है. आप मुझे काम दे सकते है. यह सुनकर वह आदमी कहता है. तुम यहां से भाग जाओ. नहीं तो मुझे गुस्सा आ सकता है.

 

यह सुनकर वह लड़का चला जाता है. उस आदमी ने उस लड़के की मदद नहीं की थी. क्योकि उसे कोई भी फायदा नज़र नहीं आ रहा था. मगर वह मदद कर सकते लेकिन उन्होंने नहीं की थी. उस लड़के को भोजन भी नहीं दिया था. वह आदमी लालच की मांग करता है. जबकि ठीक नहीं है. तभी कुछ दिन बीत जाते है. वह आदमी बहुत अधिक धन लेकर घर जा रहा था.     

मेरे पास कुछ नहीं :-

उसे खबर नहीं थी. यहां पर चोर छुपे बैठे है. वह आदमी के सामने आते है. वह बहुत डर जाता है. वह कहता है. मेने कुछ नहीं किया है. तुम कौन हो. वह सभी कहते है. हम चोर है. जो भी तुम्हारे पास है. वह हमे दे दो. यह सुनकर वह आदमी “पिता परमेश्वर” को याद करता है. उनसे कहता है. मुझे बचा लो. आज यह मेरा धन ले सकते है. में सब कुछ बेच कर आया हु. इसके बाद मेरे पास कुछ नहीं रह सकता है. तभी चोर कहते है.

 

अब कुछ नहीं होने वाला है. तुम यह सब कुछ हमे दे दो. वह लड़का जोकि पास में एक पेड़ के पास बैठा था. सब कुछ सुन रहा था. वह उस आदमी की मदद करने आता है. वह लड़का फल खा रहा था. अपने दोस्त बंदर को लेकर आता है. शायद जीवन में उससे दोस्ती कोई भी नहीं कर सकता था. मगर उस बंदर के साथ वह दोस्ती कर चुका था. दोनों ने मिलकर सभी चोर को भगा दिया था.

सभी को मदद :-

अब वह आदमी देखता है. यह तो वही लड़का है. जिसको मेने भोजन भी नहीं दिया था. तब भी इसने मेरी मदद की है. आज उस आदमी को लगता है. उसने अच्छा नहीं किया था. मगर आज इस लड़के ने अच्छा कर दिया है. यह सब कुछ उसने क्यों किया है. वह उस लड़के से पूछता है. वह लड़का कहता है. मुझे एक बात पता है. मेरे “पिता परमेश्वर” ने सभी को मदद करने भेजा है.

निष्कर्ष :-

pita parmeshwar ki kahani, इसलिए में मदद कर रहा हु. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. कौन अमीर है. कौन गरीब है. कोई अपना है. या कोई पराया है. में सभी की मदद करता हु. यह सुनकर सु आदमी को समझ आया था. हमे “पिता परमेश्वर” के रास्ते पर चलना चाहिए. क्योकि वह तभी मदद करते है. जब हम किसी की मदद करते है. अगर आपको यह “पिता परमेश्वर” की कहानी पसंद आयी है. शेयर जरूर करे.   

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